Thursday 28 April 2016

चंद्रमा पर्वत के सामान्य लक्षण

चंद्रमा पर्वत के सामान्य लक्षण

चंद्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के आधार पर स्थित होता है। यह पर्वत एक मजबूत कल्पना शक्ति को दर्शाता है। यह लोगों में भावनात्मक या कलात्मक और सौंदर्य, रोमांस, रचनात्मकता, आदर्शवाद आदि को प्रदर्शित करता है। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं।
ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पना शक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति  आदर्शवादी होते हैं। शुक्र पर्वत की तरह इनमें भावुकता या कामुकता वाला स्वभाव नही होता है।

चन्द्र पर्वत का विकास | Elevation of Chandra Parvat

पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को भावनाओं मे बहने वाला और किसी को उदास न देखने वाला होता है। प्रायः यह लोग वास्तविकता से परे कल्पनाप्रधान और अच्छे लेखक और कलाकार होते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऐसे लोग उन्मादी और तर्कहीन व्यवहार करते हैं। इसके अतिरिक्त ये निर्णय लेने मे अधिक समय लेने वाले और अत्यधिक महत्वाकांक्षी होते हैं।
अति विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को आलसी और सनकी बनाता है। ऐसे व्यक्ति कल्पना से पूर्ण और वास्तविकता से दूर रहते हैं। कभी कभी, यह एक हल्के रूप में विकसित हो कर एक प्रकार का पागलपन भी हो सकता है।
यदि चंद्र पर्वत अविकसित है, तो व्यक्ति मे अच्छी कल्पना का अभाव, दूरदर्शिता का अभाव, नए और  रचनात्मक विचारों का अभाव रहता है, यह लोग क्रूर और स्वार्थी होते हैं।

चन्द्र पर्वत का शीर्ष | Apex of Chandra Parvat

यदि चंद्र पर्वत का शिखर अंगूठे के आधार की ओर स्थित है तो व्यक्ति अपने  उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दृढ संकल्पी होता है। जब इसके शिखर का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो तो व्यक्ति का झुकाव संगीत, कला, रंगमंच की ओर होता है। जब यह मणिबंध की ओर झुका हो तो व्यक्ति की रुचि यात्राओं की ओर रहती है लेकिन उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।

राहु और केतु के पर्वत | Rahu and Ketu Parvat

एक हथेली में इन दोनों ग्रहों के पर्वत की स्थिति विवादास्पद है, प्राचीन हस्तरेखा शास्त्र ने इन  ग्रहों के पर्वत के विषय े में अधिक विवरण नहीं दिया है। राहु वर्तमान परिस्थितियों का जबकि केतु अतीत की घटनाओं के लिए हमारे प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है। राहु पर्वत मस्तिष्क रेखा और मंगल पर्वत के नीचे स्थित होता है,  और इसके विपरीत केतु चंद्र पर्वत और शुक्र पर्वत के मध्य स्थित होता है।

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